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Himachal: अब अपराधियों तक पहुंचाएगी शराब की बोतल, नई तकनीक को मिली मंजूरी

फाइल फोटो

कई बार अपराध का कारण बनने वाली शराब की बोतल अब अपराधियों तक पहुंचाने में भी मददगार साबित हो सकेगी। जयराम सरकार द्वारा मंजूर की गई नई आबकारी नीति के अनुसार सूबे में बिकने वाली शराब की हर बोतल पर अब बार कोड दर्ज होगा। इस बार कोड को कोई भी व्यक्ति एक मोबाइल एप की मदद से स्कैन कर यह पता लगा सकेगा कि बोतल किस शराब के ठेके से बिकी है।

यही नहीं उस बोतल में किस बाटलिंग प्लांट से शराब भरी गई और किस रास्ते से होते हुए और कहां कहां उसे रखा गया, इसका ब्योरा भी झट से मिल जाया करेगा। चूंकि आबकारी विभाग हर शराब के ठेके पर सीसीटीवी लगाने पर जोर दे रहा है। ऐसे में अगर शराब पीकर किसी ने अपराध किया और पुलिस के हाथ बोतल लगी तो अपराधी के गिरेबां तक पहुंचने में पुलिस को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।

बता दें, अवैध शराब की तस्करी और आबकारी विभाग के भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए जयराम सरकार बड़ी कवायद करने जा रही है। इसके तहत प्रदेश में बिकने वाली शराब की हर बोतल पर एक बार कोड दर्ज किया जाएगा।

इस काम को विश्व बैंक के डेवलपमेंटल लिंक इंडिकेटर 8 (डीएलआई 8) के तहत ई-गवर्नेंस प्रोजेक्ट में करीब चालीस करोड़ रुपये की मदद से किया जाएगा। एक अप्रैल से इस प्रोजेक्ट को लागू किया जाएगा, जिसकी मदद से पूरे एक्साइज महकमे के हर काम को पेपरलेस कर दिया जाएगा। विभाग का काम पेपरलेस होने से जहां विभागीय भ्रष्टाचार पर नकेल सकेगी, वहीं शराब को एक स्थान से दूसरी जगह ले जाने के लिए भी ऑनलाइन पास उपलब्ध हो जाया करेंगे।

आबकारी आयुक्त डॉ. अजय कुुमार शर्मा ने बताया कि बार कोड को विभाग के कर्मचारी-अधिकारी से लेकर आम आदमी तक घर बैठे मोबाइल ऐप पर स्कैन कर यह पता लगाया जा सकेगा कि बोतल किस बाटलिंग प्लांट में सील की गई है और इसके बाद कहां से कहां होते हुए किस ठेके पर बेची गई। बताया कि इससे एक तरफ प्रदेश में अवैध शराब की तस्करी और बिक्री पर नकेल कसेगी। वहीं, विभाग को भी राजस्व में इससे लाभ होगा। 

डीएलआई 8 प्रोजेक्ट अप्रैल से शुरू होगा और करीब दो साल में इस प्रोजेक्ट के सारे माड्यूल लागू हो जाएंगे, जिसके बाद विभाग का पूरा काम पेपरलेस हो जाएगा।  - डॉ. अजय कुुमार शर्मा, आबकारी आयुक्त

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