Maharashtra Election: एक घंटे में कैसे हुई 76 लाख वोटिंग? अचानक भारी मतदान के दावों की खुली पोल

Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में महायुति की विशाल जीत के बाद चुनाव प्रक्रिया पर उंगलियां उठाने की कोशिशें की गई हैं। तरह-तरह के सवाल किए जा रहे हैं। आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर पूरे चुनाव को संदिग्ध साबित करने का खेल चल रहा है।
महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस चोकलिंगम ने द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में चुनाव से संबंधित उठ रहे सभी जरूरी सवालों का जवाब दिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर दावा किया गया है कि शाम 5 से 6 बजे के बीच अचानक बहुत ही भारी संख्या में मतदान हो गया।
मतदान में अचानक नहीं हुआ कोई उछाल- मुख्य निर्वाचन अधिकारी
इसके जवाब में चोकलिंगम ने कहा है कि 'अचानक कोई उछाल नहीं है। जहां तक 5 बजे शाम के आंकड़ों की बात है तो इसकी तुलना झारखंड से हो रही है, जहां वोटिंग पहले खत्म हो जाती है और जहां ऐतिहासिक तौर पर लोग दिन में जल्दी ही वोट डालना पसंद करते हैं।'
एक घंटे में कैसे हुई 76 लाख वोटिंग?
उन्होंने कहा,'महाराष्ट्र एक बड़ा राज्य है। यहां 1 लाख मतदान केंद्र हैं। यह कहा जा रहा है कि शाम 5 बजे से 6 बजे के बीच 76 लाख लोगों ने मतदान किया। इसका मतलब हुआ कि औसतन 76 व्यक्ति ने प्रत्येक बूथ पर मतदान किया। अगर आप दिन भर की कुल मतदान क्षमता पर गौर करें तो पाएंगे कि हर घंटे 60 से 70 लोग मतदान करते हैं। यह नियमित होता है। कोई उछाल नहीं है। अगर इसे ग्राफ में दिखाया जाए तो यह सामान्य है।'
महाराष्ट्र में ज्यादा शहरीकरण की वजह शाम में अधिक मतदान-चोकलिंगम
उन्होंने आगे बताया कि 'अगर हम 2019 से तुलना करें तो यह ऐसा ही है। महाराष्ट्र में ज्यादा शहरीकरण की वजह से लोग शाम में वोट देना चाहते हैं। ये संख्या ऐतिहासिक ट्रेंड के अनुसार हैं,दिन के रुझान के मुताबिक हैं।'
क्या गुजरात से मंगवाई गई ईवीएम?
आरोप तो यहां तक लगाए गए कि ईवीएम गुजरात से मंगवाए गए, जहां उनके साथ पहले ही छेड़छाड़ कर दी गई। इसके बारे में मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया है कि 'एक भी ईवीएम गुजरात से नहीं मंगवाई गई। महाराष्ट्र के पास अपना ही पर्याप्त स्टॉक है। महाराष्ट्र के बाहर से कोई ईवीएम नहीं लाई गई है।'
क्या बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट में नाम हटाए और जोड़े गए?
ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं सत्ताधारी दलों की ओर से प्रत्येक सीट पर बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम जोड़े और हटाए गए हैं। इसके बारे में चुनाव आयोग ने बताया है कि 'चुनाव के वर्ष में बड़े पैमाने पर नाम नहीं हटाए जाते हैं। चुनाव आयोग भी हटाने की प्रक्रिया निरंतर चलाता है। लेकिन, चुनाव वर्ष में बड़े पैमाने पर ऐसा नहीं किया जाता। चुनाव आयोग के अधिकारी पुष्टि करने के लिए घर-घर जाते हैं। लेकिन, यह सिर्फ उन्हीं वर्ष में होता है, जब चुनाव नहीं होते।'
इसके अलावा उन्होंने बताया कि'जहां तक जोड़ने की बात है तो दो समरी रिवीजन होते हैं। वोटर लिस्ट में ज्यादा नाम जोड़ने के लिए स्पेशल कैंप लगाए जाते हैं। बहुत बड़े पैमाने पर नाम नहीं जोड़े जाते। इसके अलावा जोड़ने, हटाने और संशोधन को चुनौती की प्रक्रिया से गुजरना होता है। यह पारदर्शी है। चुनाव आयोग बड़े पैमाने पर नाम नहीं हटाता। यह व्यक्तिगत तौर पर क्या जाता है।'
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