Radio in Prison: सजा से सुधार तक...वर्तिका नन्दा की ये नई किताब जेल रेडियो की अनसुनी कहानियों का है सफर
Radio in Prison: जेल रेडियो की शुरुआत और इसके असर को बताने वाली पहली किताब 'रेडियो इन प्रिजन' नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया ने जारी की है. इसकी लेखिका डॉ. वर्तिका नन्दा हैं. डॉ. नन्दा 'तिनका तिनका' फाउंडेशन की अध्यक्ष और मशहूर जेल सुधारक हैं. उन्होंने जेल के भीतर रेडियो के माध्यम से कैदियों के जीवन में आए बदलाव की कहानियों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है. 295 रुपये की कीमत वाली यह पुस्तक जेल सुधार, संचार और रचनात्मक अभिव्यक्ति के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व कदम है.

क्या है इस किताब में?
"रेडियो इन प्रिजन" भारत में जेल रेडियो की शुरुआत और कैदियों पर इसके प्रभाव को दिखाती है. यह जेल रेडियो और जेल पत्रकारिता के जरिए बदलाव की कहानियां सुनाती है. जेल रेडियो कैदियों को अपनी बात कहने का मौका देता है. किताब सजा, कैदियों के मन, उनकी जरूरतों और सुधार की संभावनाओं को भी छूती है. डॉ. नन्दा ने आगरा, देहरादून और हरियाणा की जेलों में रेडियो शुरू करने के अपने अनुभव साझा किए हैं. यह किताब जेल अधिकारियों के लिए मॉडल और पुलिस, जज, समाजशास्त्री, मनोवैज्ञानिक, सुधारक और आम लोगों के लिए एक स्टडी है.
क्यों पढ़ें इस किताब को?
यह किताब सजा और सुधार के बीच की कड़ी को समझाती है. यह बताती है कि संचार कैसे कैदियों के जीवन को बदल सकता है. किताब उनकी अनसुनी बातों और जेल में रचनात्मकता के असर को सामने लाती है. यह दिखाती है कि रेडियो ने कैदियों और उनके परिवारों में कैसे सकारात्मक बदलाव लाया.
कौन हैं डॉ. वर्तिका नन्दा?
डॉ. नन्दा जेल सुधारक और दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्री राम कॉलेज में पत्रकारिता की हेड हैं. उन्होंने जेल सुधार के लिए जिंदगी समर्पित की है. उनकी दूसरी किताबें भी 'तिनका तिनका जेल सुधार' सीरीज में हैं. यह किताब समाज और न्याय में बदलाव चाहने वालों के लिए खास है.
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