धर्म पूछकर की गई फायरिंग
हमले के दौरान आतंकियों ने बेहद निर्दयता दिखाई। चश्मदीदों के मुताबिक, आतंकियों ने पहले भीड़ को इकट्ठा किया और लोगों से कलमा पढ़ने को कहा। जो लोग जवाब नहीं दे पाए उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं। पहले चार लोगों को निशाना बनाया गया और फिर भगदड़ मचते ही अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी गई।
AK-47 और अमेरिकी M4 से किया हमला
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि हमले में आतंकियों ने आधुनिक और घातक हथियारों का इस्तेमाल किया। घटनास्थल से AK-47 राइफल और अमेरिकी M4 असॉल्ट राइफलों के कारतूस बरामद किए गए हैं। ये हथियार उनकी तैयारी और मंशा दोनों को दर्शाते हैं कि वह कितनी बड़ी तबाही फैलाने आए थे। सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने हमले से पहले पर्यटकों के दो मोबाइल फोन छीने थे। इसका मकसद यह था कि किसी भी तरीके से सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट न हो और लोकेशन ट्रैकिंग से बचा जा सके। फोन छीनने के बाद उन्होंने हमला तेज कर दिया।
इस दर्दनाक हमले का एक वीडियो भी सामने आया था जो अब जांच में मदद कर रहा है। बताया जा रहा है कि एक स्थानीय फोटोग्राफर ने हमले के समय डरते-डरते ऊंचाई से इस वीडियो को रिकॉर्ड किया। वीडियो में आतंकियों की हरकतें साफ दिखाई दे रही हैं। इससे NIA को हमले की पूरी सच्चाई समझने में काफी मदद मिल रही है।
भारतीय सेना के अफसर भी बने चश्मदीद
सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेना के एक अफसर भी घटना के समय घाटी में मौजूद थे। वह छुट्टी पर थे और पहलगाम घूमने आए थे। हमले के बाद उन्होंने तुरंत कुछ महत्वपूर्ण सुराग सुरक्षाबलों और NIA को सौंपे हैं जो जांच में बेहद अहम साबित हो रहे हैं।
आदिल थोकर ने निभाई आतंकी गाइड की भूमिका
जांच में यह बात भी पक्की हो गई है कि आदिल थोकर नामक स्थानीय आतंकी ने न सिर्फ बाहर से आए पाकिस्तानी आतंकियों को जंगल के रास्ते बैसरन घाटी तक पहुंचाया बल्कि हमले के दौरान भी उनका साथ दिया। फिलहाल आदिल थोकर की पहचान पूरी तरह हो चुकी है और सुरक्षाबलों ने उसकी तलाश तेज कर दी है।
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