Waqf Law: 'क्या संसद मुसलमानों के लिए...', जब सिब्बल को CJI संजीव खन्ना ने बीच में ही टोका, पढ़ें कोर्टरूम में क्या-क्या हुआ?

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने मामले पर सुनवाई की।
सुनवाई के पहले दिन करीब दो घंटे तक इस मामले पर बहस चली।
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सहित अन्य याचिकाकर्ता के वकील कोर्ट में उपस्थित थे।
कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से अपील की कि कानून पर रोक लगाने की आदेश दी जाए। कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून मुस्लिम के धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन करने की स्वतंत्रता के अधिकार में दखल देता है। यह कानून असंवैधानिक है।
सिब्बल ने वक्फ कानून को बताया इस्लाम के खिलाफ
सिब्बल जमीयत उलमा ए हिंदू के अध्यक्ष अरशद मदनी व अन्य लोगों की ओर से पेश हुए थे। जब सिब्बल ने कानून में मुस्लिम महिलाओं की संपत्ति के हित सुरक्षित करने के लिए संशोधन किए जाने का विरोध किया और इसे इस्लामिक कानून के खिलाफ बताया, तो सीजेआई ने कहा कि हिंदुओं के लिए भी उत्तराधिकार कानून है। क्या संसद मुसलमानों के लिए कानून नहीं बना सकती। संविधान का अनुच्छेद 26 संसद को कानून बनाने से नहीं रोकता।
सिब्बल ने वक्फ बाई यूजर की अवधारणा समाप्त किये जाने और वक्फ बाई यूजर को भी अनिवार्य रूप से रजिस्टर किये जाने के प्रविधान का विरोध किया साथ ही सरकारी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति न माने जाने के प्रविधानों का भी विरोध किया।
वक्फ बाय यूजर पर कोर्ट ने सरकार से क्या पूछा?
वक्फ बाय यूजर पर कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि आप वक्फ बाई यूजर को पंजीकृत कराने के लिए कैसे कह सकते हैं बहुत पुरानी संपत्तियों के बारे में वे लोग कौन से दस्तावेज दिखाएंगे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन वक्फ संपत्तियों को कोर्ट ने वक्फ बाई यूजर के आधार पर वक्फ संपत्ति घोषित किया है उन फैसलों को कैसे निष्पभावी किया जा सकता है। मेहता ने कहा कि वक्फ बाई यूजर की संपत्तियों को अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराने का नियम पहले भी था यह आज का नियम नहीं है।
मेहता ने कानून का समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून बहुत सोच समझ कर लंबे परामर्श और चर्चा के बाद पारित हुआ है। पहले इस पर संयुक्त संसदीय समिति ने विचार किया और उसकी 30 से ज्यादा बैठकें हुईं जिनमें बहुत से सुझाव आये। समिति की रिपोर्ट को देखने के बाद संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद कानून पारित हुआ है।
क्या हिन्दू धर्मार्थ ट्रस्ट में मुस्लिमों को शामिल करेंगे: कोर्ट
कोर्ट ने केंद्रीय काउंसिल और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने को लेकर सवाल किया और पूछा क्या हिन्दू धर्मार्थ ट्रस्ट में मुस्लिमों को शामिल करेंगे। खुल कर बताइये। कोर्ट ने दो घंटे बहस सुनने के बाद कहा कि वह याचिकाओं पर नोटिस जारी कर रहे हैं।
साथ ही कोर्ट ने अंतरिम आदेश देने की भी मंशा जताई और कहा कि वह अंतरिम आदेश में वक्फ बाई यूजर वाली वक्फ संपत्तियों जिन्हें कोर्ट ने वक्फ संपत्ति घोषित किया है या अन्य अथारिटी ने वक्फ संपत्ति घोषित किया है, उनको फिलहाल डी नोटीफाई नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर कलक्टर की शक्तियों के बारे में भी वह अंतरिम आदेश देगा। केंद्रीय वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्डों में पदेन सदस्यों को छोड़कर सभी अन्य सदस्य मुस्लिम होने चाहिए। जब कोर्ट ने इस तरह का अंतरिम आदेश देने की बात कही तो सॉलिसिटर जनरल ने जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने शुरू मे कहा था कि वह अभी अंतरिम आदेश की मांग पर बहस नहीं सुनेगा।
इसलिए उन्होंने अंतरिम आदेश के मुद्दे पर बहस नहीं की थी। अगर कोर्ट अंतरिम आदेश देता है, तो पहले उनका पक्ष सुना जाए। मेहता और अन्य कानून का समर्थन करने वालों की मांग पर कोर्ट ने बगैर कोई आदेश जारी किए मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि इस कानून में कुछ सकारात्मक चीजें भी हैं।
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