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मां- बाप ने किया अपनी जिंदा बेटी का अंतिम संस्कार, वजह जान गांव में मचा हड़कंप, फूट-फूटकर रोए सभी.....

       

मां- बाप ने किया अपनी जिंदा बेटी का अंतिम संस्कार, वजह जान गांव में मचा हड़कंप, फूट-फूटकर रोए सभी


कोलकाता. एक माता-पिता ने अपनी जीवित पुत्री का श्राद्ध कर्म किया. क्योंकि परिवार की इच्छा के बिना किए गए विवाह को उसके पूरे गांव और साथ ही परिवार के सदस्य स्वीकार नहीं कर सके. इसलिए भविष्य में किसी भी बेटी को ऐसा करने से रोकने के लिए माता-पिता ने अपनी बेटी को अयोग्य संतान घोषित किया और श्राद्ध किया.

ये घटना चोपड़ा थाना अंतर्गत सोनापुर ग्राम पंचायत के जुआखुरी अग्निबाड़ी इलाके में घटी. लड़की को किसी से प्यार हो गया था और उसने भागकर शादी कर ली थी. काफी समझाने के बाद भी लड़की घर लौटने को तैयार नहीं हुई.

इसके बाद माता-पिता ने शनिवार को घर पर अपनी जीवित बेटी के लिए श्राद्ध समारोह का आयोजन किया. श्राद्ध समारोह में परिवार के सदस्यों के साथ-साथ ग्रामीण भी शामिल हुए. बेटी के अंतिम संस्कार के दौरान माता-पिता समेत पूरा परिवार फूट-फूट कर रो पड़ा. जैसे ही घटना का पता चला, पूरे चोपड़ा में भारी हंगामा मच गया. यह रस्म आमतौर पर मृत पूर्वजों को सम्मानित करने के लिए की जाती है, लेकिन इस बार इसे परिवार ने अपनी बेटी की हाल ही में बिना उनकी सहमति के की गई शादी पर असहमति जताने के लिए प्रतीकात्मक रूप से किया.

सांस्कृतिक मान्यता
'श्राद्ध' रस्म हिंदू संस्कृति में गहरा महत्व रखती है, जो मृत पूर्वजों को सम्मानित करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए की जाती है. जीवित व्यक्ति के लिए इस रस्म को करना एक अत्यधिक कठोर कदम है, जो परिवार और समुदाय से उनके बहिष्कार का प्रतीक है. ऐसे कार्य पारंपरिक मूल्यों के महत्व को दर्शाते हैं, जहां वैवाहिक मामलों में पारिवारिक सहमति अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. बिना परिवार की मंजूरी के की गई शादियों को अक्सर सामाजिक मानदंडों के खिलाफ माना जाता है, जिससे गंभीर नतीजे होते हैं. जिनमें सामाजिक बहिष्कार भी शामिल है.

व्यापक असर
यह घटना पारंपरिक रीति-रिवाजों और निजी आजादी के बीच चल रहे तनाव को उजागर करती है. जबकि शहरी इलाकों में प्रेम विवाह और निजी पसंद को अधिक स्वीकृति मिल सकती है, ग्रामीण इलाकों में पुराने रीति-रिवाजों का सख्ती से पालन किया जाता है. परिवार का 'श्राद्ध' करने का फैसला यह दिखाता है कि कुछ लोग इन रीति-रिवाजों को बनाए रखने और दूसरों को ऐसे कार्यों से रोकने के लिए किस हद तक जा सकते हैं.

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