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एक लीटर में 176 किलोमीटर... प्रयागराज के शैलेंद्र कुमार ने ये क्या गजब का इंजन बना दिया.!

Shailendra Kumar Singh Gaur, six stroke engine

Shailendra Kumar Singh Gaur, six stroke engine

क्या आप किसी ऐसी बाइक के बारे में सोच सकते हैं जो एक लीटर तेल में 176 किलोमीटर का माइलेज निकाल कर दे? ये सोच ही रोमांचित कर देने वाली है न? सोचिए अगर ऐसा हो गया तो एक बाइच चलाने वाले की कितनी बचत होगी. फिलहाल प्रयागराज के शैलेंद्र कुमार सिंह गौर ने कुछ ऐसी ही बात कही है. उन्होंने एक ऐसा इंजन बनाने का दावा किया है जो आटोमोबाइल सेक्टर में नई क्रांति ला सकता है. साइंस ग्रेजुएट शैलेंद्र कुमार सिंह गौर ने 18 साल की कड़ी मेहनत के बाद सिक्स स्ट्रोक इंजन बनाने का दावा किया है. उनका दावा है कि ये मौजूदा तकनीक को पीछे छोड़ते हुए एक लीटर पेट्रोल में 176 किमी का जबर्दस्त माइलेज देता है. 

 

इस तकनीक से सिर्फ माइलेज ही नहीं बढ़ता है बल्कि बाइक की क्षमता भी तीन गुना तक बढ़ जाती है. इससे प्रदूषण भी लगभग खत्म हो जाता है. उन्होंने बताया है कि उनकी बाइक के साइलेंसर का तापमान बहुत कम होता है और कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा लगभग शून्य है. शैलेंद्र कुमार सिंह गौर ने इस तकनीक को पुरानी बाइक को ही मॉडिफाई कर डेवलप किया है. उन्होंने बताया है इस इंजन में पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और एथनॉल जैसे किसी भी तरह के फ्यूल इस्तेमाल किया जा सकता है. यह भी दावा है कि यह इंजन टिकाऊ, पर्यावरण के अनुकूल और प्रदूषण मुक्त है. 

इंजन बनाने के चक्कर में बिक गया मकान

शैलेंद्र कुमार सिंह गौर का कहना है कि इंजन को बनाने के लिए उन्होंने न केवल अपने जीवन के 18 साल लगा दिए बल्कि अपनी पूरी प्रॉपर्टी दांव पर लगा दी. उनके मुताबिक पैतृक मकान बिक चुका है. परिवार का गुजर बसर बड़ी मुश्किल से हो पा रहा है. शैलेंद्र कुमार सिंह गौर कहते हैं कि उनके इस सफर में पत्नी और बच्चों ने पूरा साथ दिया.कुछ दोस्त भी उनकी मदद के लिए आगे आए हैं.

 

शैलेंद्र कुमार सिंह गौर का कहना है कि उन्होंने अपने आविष्कार को पेटेंट करा रखा है. जरूरत इस बात की है कि कोई कंपनी आगे आकर इस इंजन का मास प्रोडक्शन करें. ताकि न केवल हाई पावर की गाड़ियों का निर्माण हो सके बल्कि ईंधन की भी बचत हो. शैलेंद्र कुमार सिंह गौर ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी गुहार लगाई है कि उनके द्वारा बनाए गए इंजन पर ऑटोमोबाइल कंपनियां कम करें. 

कानपुर नगर के मूल निवासी शैलेंद्र कुमार सिंह गौर झूंसी में रहते हैं. वह झूंसी में किराए के मकान में पत्नी वह तीन बच्चे बेटी और बेटे के साथ रहते हैं. उन्होंने बताया है कि उनका सपना पूरा हो सके इसके चलते उनका बड़ा बेटा सिर्फ नौवीं क्लास तक और एक बेटी दसवीं तक पढ़ पायी. एक बेटी ने किसी तरह ग्रेजुएशन किया है. 

खुद शैलेंद्र सिंह ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जुड़े सीएमपी डिग्री कॉलेज से 1983 में बीएससी (पीसीएम) की डिग्री हासिल की. 2007 में गौर की नौकरी टाटा मोटर्स में लगी लेकिन काम नहीं किया. उन्होंने एमएनएनआईटी के मैकेनिकल विभाग की प्रयोगशाला में छह महीने तक प्रो. अनुज जैन के साथ इंजन बनाने के बारे में और जानकारी ली. इसके अलावा आईआईटी-बीएचयू की प्रयोगशाला में भी जाकर प्रशिक्षण लिया. 

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