अखिलेश यादव से सीधे भिड़ने वाले यूपी के ये तीन DM कौन हैं? एक एक की कहानी जानिये
UP News: कासगंज के जिलाधिकारी प्रणय सिंह, जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र और बाराबंकी के जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने सपा चीफ अखिलेश यादव को जवाब दिया है. जानिए इन 3 डीएम के बारे में.

UP News: इस समय उत्तर प्रदेश के 3 जिलाधिकारी काफी चर्चाओं में बने हुए हैं. दरअसल इन 3 आईएएस अधिकारियों ने समाजवादी पार्टी मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जवाब दिया है.
कासगंज के जिलाधिकारी प्रणय सिंह, जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र और बाराबंकी के जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने अखिलेश यादव को कथित मतदान सूची में गड़बड़ियों को लेकर जवाब दिया है.
पहले जानिए पूरा मामला
दरअसल अखिलेश यादव ने बीते दिनों अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर ये जानकारी दी थी कि उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची की गड़बड़ियों की 18000 शिकायतें शपथ पत्र पर दी थीं. ये भी जानना यहां जरूरी है कि चुनाव आयोग विपक्षी दलों पर आरोप लगाता रहता है कि वे बिना शपथ पत्र के शिकायत कर रहे हैं. अखिलेश यादव ने बकायदा चुनाव आयोग को भेजी गई शिकायत की पावती दिखाकर दावा किया कि शपथ पत्र देने के बावजूद ECI ने कोई ऐक्शन नहीं लिया.
अब कासगंज के जिलाधिकारी प्रणय सिंह, जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र और बाराबंकी के जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने अखिलेश यादव के पोस्ट पर ही 2022 विधानसभा चुनावों में कथित अनियमितताओं के आरोपों का खंडन किया है. इसके बाद से ही ये तीनों जिलाधिकारी काफी चर्चाओं में आ गए हैं.
कौन हैं ये तीनों जिलाधिकारी?
कासगंज के जिलाधिकारी प्रणय सिंह गाजियाबाद के रहने वाले हैं. उनका जन्म 1989 में हुआ था. वह साल 2015 बेच के आईएएस अधिकारी हैं. कासगंज डीएम बनने से पहले वह कई अहम पदों पर तैनात रहे हैं. प्रणय सिंह देवरिया में सहायक मजिस्ट्रेट-सहायक कलेक्टर के पद पर रहे हैं. उन्होंने सुल्तानपुर में भी संयुक्त मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी संभाली है. सहारनपुर में वह मुख्य विकास अधिकारी के पद पर रहे हैं. वाराणसी में नगर आयुक्त नगर निगम की जिम्मेदारी भी वह संभाल चुके हैं.
जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश चंद्र बिजनौर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 1966 में हुआ था. उन्होंने एएमसी और एलएलबी की हुई है. जौनपुर के जिलाधिकारी बनने से पहले वह कानपुर देहात, बहराइच और सहारनपुर के जिलाधिकारी रह चुके हैं.
बाराबंकी के जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी कानपुर देहात के रहने वाले हैं. उन्होंने आईआईटी कानपुर से बी.टेक किया है. वह साल 2016 बैच के अधिकारी हैं. इससे पहले वह सहायक मजिस्ट्रेट-सहायक कलेक्टर के तौर पर सीतापुर में तैनात रहे हैं. राय बरेली में भी उन्होंने बड़ी जिम्मेदारी संभाली हैं. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्पेशल सेक्रेटी भी रह चुके हैं.
अखिलेश ने फिर उठाए सवाल
बता दें कि 3 जिलाधिकारियों के जवाब दिए जाने के बाद सपा चीफ अखिलेश यादव ने फिर सवाल उठाया है. उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा, डीएम लोगों से जनता का एक मासूम सवाल है, क्यों इतने सालों बाद आया जवाब है? जिस तरह कासगंज, बाराबंकी, जौनपुर के DM हमारे 18000 शपथ पत्रों के बारे में अचानक अति सक्रिय हो गए हैं, उसने एक बात तो साबित कर दी है कि जो चुनाव आयोग कह रहा था कि ‘एफ़िडेविट की बात गलत है’ मतलब एफ़िडेविट नहीं मिले, उनकी वो बात झूठी निकली.
अखिलेश यादव ने आगे कहा, अगर कोई एफ़िडेविट मिला ही नहीं, तो ये जिलाधिकारी लोग जवाब किस बात का दे रहे हैं. अब सतही जवाब देकर ख़ानापूर्ति करने वाले इन जिलाधिकारियों की संलिप्तता की भी जाँच होनी चाहिए. कोर्ट संज्ञान ले, चुनाव आयोग या डीएम में से कोई एक तो गलत है ही ना?
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया X पर लिखा, उप्र में 2022 के विधानसभा चुनावों में नाम काटने को लेकर हमने जो 18000 शपथ पत्र दिये थे, भाजपा सरकार उनमें से एक का भी जवाब सही तरीक़े से देना नहीं चाहती है. जिलाधिकारी को आगे करके चुनाव आयोग बच नहीं सकता. इस मामले की गहन जांच-पड़ताल हो. डीएम साहब दिखाएं कि नाम काटते समय जो ‘मृतक प्रमाणपत्र’ लगाए गये थे वो कहाँ हैं. अगर ये झूठ नहीं है तो ये सफ़ाई देने में इतने साल क्यों लग गये?
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