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84 लाख योनियों की रहस्यमयी यात्रा के बाद मिलता है मानव जीवन! पुनर्जन्म से जुड़े ये 9 रहस्य चौंका देंगे आपको!.

  


Rebirth: आत्मा का पुनः यात्रा प्रारंभ

हिन्दू धर्म में Rebirth (पुनर्जन्म) का विचार सदियों से गहराई से समाया हुआ है। यह धारणा सिर्फ एक धार्मिक विश्वास नहीं, बल्कि भारतीय आध्यात्मिक दर्शन का मूल आधार है। गीता, पुराण, उपनिषद और अन्य ग्रंथों में आत्मा को अमर बताया गया है, जो मृत्यु के बाद एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करती है।

 गीता में पुनर्जन्म की अवधारणा

 श्रीकृष्ण के वचन:

“नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।”

— भगवद्गीता, अध्याय 2, श्लोक 23

इस श्लोक में बताया गया है कि आत्मा को कोई नष्ट नहीं कर सकता। यही आत्मा, जो शरीर छोड़ती है, वही Rebirth के सिद्धांत को जन्म देती है।

 कर्म और पुनर्जन्म का सम्बन्ध

हिन्दू मान्यता के अनुसार Rebirth पूरी तरह व्यक्ति के कर्मों पर आधारित है। मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही उसका अगला जन्म होता है।

 कर्मों के अनुसार योनियाँ:

  • अच्छे कर्म: अगला जन्म मनुष्य रूप में या देवता रूप में।
  • बुरे कर्म: पशु, पक्षी, या निम्न योनि में जन्म।
  • तामसी प्रवृत्तियाँ: नरक और पीड़ा भोगना पड़ता है।

 पुनर्जन्म की अनसुनी कथाएँ

 राजा भरत की कथा:

राजा भरत, जो महान योगी और त्यागी थे, एक हिरण के मोह में मृत्यु के समय उसी की चिंता में डूबे रहे। परिणामस्वरूप, अगला जन्म हिरण के रूप में हुआ।

 शिखंडी की कथा:

महाभारत का पात्र शिखंडी, जिसने अपने पूर्व जन्म में काशी की राजकुमारी के रूप में अपमान झेला था, उसी अपमान का बदला लेने के लिए शिखंडी के रूप में जन्म लिया।

 मृत्यु के समय की भावना का महत्व

पुराणों में स्पष्ट है कि मृत्यु के समय व्यक्ति जिस भावना में होता है, उसका गहरा प्रभाव उसके अगले जन्म पर पड़ता है। यदि वह मृत्यु के समय किसी विशेष विचार, मोह या भावना में डूबा होता है, तो वही भाव अगले जन्म की दिशा तय करता है।

 84 लाख योनियाँ और मानव जन्म की दुर्लभता

हिन्दू धर्म में माना जाता है कि आत्मा को 84 लाख योनियों से होकर गुजरना पड़ता है, तब जाकर उसे मनुष्य जन्म मिलता है। इसलिए यह जीवन अत्यंत मूल्यवान है क्योंकि केवल मानव जन्म में ही मोक्ष की प्राप्ति संभव मानी गई है।

 Rebirth की वैज्ञानिक पड़ताल

 डॉ. इयान स्टीवेंसन का शोध:

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. इयान स्टीवेंसन ने भारत सहित कई देशों में Rebirth पर शोध किए। उन्होंने कई ऐसे बच्चों के केस स्टडी तैयार किए, जिन्हें अपने पिछले जन्म की बातें याद थीं — जन्मस्थल, माता-पिता, मृत्यु की स्थिति तक।

 पश्चिमी देशों में Rebirth की अवधारणा

हालांकि पश्चिमी धर्मों — ईसाई, इस्लाम — में Rebirth की अवधारणा प्रमुख नहीं है, लेकिन कुछ आध्यात्मिक समूहों में इसे स्वीकार किया गया है। वहीं, हॉलीवुड में भी इस विषय पर फिल्में बनी हैं जैसे:

  • The Reincarnation of Peter Proud
  • Dead Again
  • Cloud Atlas

 बॉलीवुड में Rebirth की लोकप्रियता

हिंदी फिल्मों में Rebirth एक प्रमुख प्लॉट रहा है:

  • कर्ज (1980)
  • करन अर्जुन (1995)
  • नीलकमल (1968)
  • मधुमतीमहललीला एक पहेली

इन फिल्मों ने पुनर्जन्म के विचार को आमजन की सोच में और गहरा किया।

 क्या पुनर्जन्म साबित किया जा सकता है?

यह सवाल आज भी विवादित है। विज्ञान में पुनर्जन्म को प्रमाणित करना कठिन है क्योंकि यह विषय भौतिक जगत से परे आत्मा और चेतना की बात करता है। हालांकि कई वैज्ञानिकों और योगियों ने ध्यान और समाधि के माध्यम से पिछले जन्मों की झलक पाने का दावा किया है।

 आत्मा की स्मृति और भूलने का रहस्य

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के बाद सिर तोड़ने का रिवाज यह सुनिश्चित करने के लिए होता है कि आत्मा अगले जन्म में पिछली स्मृतियाँ न ले जाए। परंतु कुछ विशेष आत्माएँ, ऋषि-मुनि या सिद्ध जन अपने पूर्वजन्मों को याद रखने में सक्षम होते हैं।

Rebirth केवल एक धार्मिक अवधारणा नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा का वह पड़ाव है, जो कर्मों की दिशा से चलता है। हिन्दू धर्म न केवल इसकी गहन व्याख्या करता है, बल्कि इसे मोक्ष की ओर अग्रसर होने का माध्यम भी मानता है। यह जीवन, हमारी सोच और हमारे कर्म — यही तय करते हैं कि अगली यात्रा कैसी होगी।

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