कहां सैनिक मिलिट्री ट्रेनिंग में पीते हैं सांप का खून, खाते हैं बिच्छू से लेकर छिपकली तक

आप हैरान हो सकते हैं लेकिन ये सही अमेरिकी मैरीन सैनिक जब थाईलैंड में हर साल कोबरा गोल्ड सैन्य अभ्यास में जाते हैं तो उन्हें वहां जंगल में जिंदा रहने के लिए कोबरा का खून पीना भी सिखाया जाता है.
अमेरिकी मैरीन सैनिक हर साल खास अभ्यास के लिए थाईलैंड जाते हैं. वहां होने वाले सालाना कोबरा गोल्ड सैन्य अभ्यास का हिस्सा बनते हैं. ये सैन्य रिहर्सल यू.एस.-थाई सैन्य संबंधों को मजबूत करने के लिए 1982 में शुरू हुआ था. इसमें जंगल में जिंदा रहने के लिए एक ऐसा अभ्यास करना पड़ता है. जो बहुत ही खौफनाक है. यहां सैनिकों को जंगली ट्रेनिंग बहुत खतरनाक होती है.
उनके पास खाने को कुछ नहीं होता. जंगल में जो कीटे, सरीसृप और सांप मिलते हैं, उन्हें खाकर ही जिंदा रहना होता है. इसमें सैनिक सांप और बिच्छू सहित खाद्य पौधों और जानवरों की पहचान करना सीखते हैं.
जंगल में फंस गए तो जिंदा कैसे रहेंगे
इस कोबरा गोल्ड अभ्यास में अमेरिकी मैरीन के अलावा थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया और अन्य सहित कई देशों के सैनिक शामिल होते हैं. इसमें एक ट्रेनिंग ऐसी होती है कि जिसमें सैनिकों को ये अभ्यास करना होता है कि वो अगर अपनी ईकाई से अलग थलग होकर जंगल में फंस चुका है तो कैसे जिंदा रहे.

कोबरा के साथ अमेरिकी मरीन सैनिकों और थाईलैंड मिलिट्री की ट्रेनिंग. (courtesy marins corps)
तब सांप के खून का सेवन करते हैं
सैनिक इसमें पानी नहीं मिलने की स्थिति में सांप के खून का सेवन करते हैं. ये बहुत खतरनाक अभ्यास भी होता है. जिसमें वास्तव में सैनिक कोबरा या सांप का खून पीते हैं. तस्वीरों के जरिए भी आप इसे देख सकते हैं. इस तरह का अभ्यास लंबे समय तक किया गया लेकिन अब ये रोक दिया गया है.
अब इसे बंद किया जा चुका है
क्योंकि PETA जैसे पशु अधिकार संगठनों ने इसे रोकने के लिए अभियान चलाया. जिसके बाद सांप का खून पीने की प्रथा बंद कर दी गई. हालांकि बहुत से सैनिक सांप का खून पीने में बेचैनी महसूस करते थे.
सांप का खून का सैनिकों को कैसा लगा
कुछ सैनिकों का कहना था कि सांप के खून का स्वाद थोड़ा मीठा होता है, हालांकि कई सैनिक इसे पीने से हिचकते थे. इसे बहुत कठिन अनुभव बताया जाता था. उन्हें खून पीने की क्रिया बेचैनी भरी लगती थी.

कुछ सैनिकों का कहना था कि सांप के खून का स्वाद थोड़ा मीठा होता है (courtesy marins corps)
बिच्छू से लेकर छिपकली का भी सेवन
कोबरा गोल्ड प्रशिक्षण के दौरान खाए जाने वाले जानवरों और सरीसृपों में बिच्छू, टारेंटुला, छिपकली, चिकन आदि शामिल रहती है.
बिच्छू - सैनिकों को बिच्छू खाते हुए देखा गया है, जिन्हें खाने से पहले अक्सर उनके डंक निकालकर तैयार किया जाता है.
टारेंटुला - प्रशिक्षण में यह सीखना शामिल है कि खाने से पहले टारेंटुला के दाँत कैसे काटे जाएँ, जो जंगल में जीवित रहने की तकनीकों में सबसे जरूरी है.
गेको - ये छोटा सा सरीसृप होता है.इसे भी खाया जाता है, ये ट्रेनिंग के दौरान आहार का हिस्सा है.
छिपकली - प्रशिक्षण में विभिन्न प्रकार की छिपकलियां शामिल की जाती हैं, जो प्रोटीन के अतिरिक्त स्रोत प्रदान करती हैं.
मुर्गियां - कुछ मामलों में, जीवित रहने के अभ्यास के रूप में मुर्गियों को मारकर खाया जा सकता है.
सैनिकों को कैसा लगा बिच्छुओं का स्वाद
कई सैनिक बिच्छुओं को कुरकुरा बनावट वाला बताते हैं, अक्सर इस अनुभव की तुलना झींगा या अन्य समुद्री भोजन खाने से करते हैं. तैयारी में आम तौर पर डंक निकालना शामिल होता है, जो उन्हें अधिक स्वादिष्ट बनाता है.
कुछ सैनिकों ने नोट किया है कि बिच्छुओं को मसालेदार बनाया जा सकता है या पकाया जा सकता है, जिससे उनका स्वाद बढ़ जाता है.उन्हें खाने में अधिक मज़ा आता है. कुल मिलाकर, आम सहमति यह है कि बिच्छू खाए जा सकते हैं.

जब से सैनिकों के सांप का खून पीने पर रोक लग गई है तब से उनकी ट्रेनिंग कुछ बदली है.
अब विकल्प के तौर पर क्या करते हैं
जब से सैनिकों के सांप का खून पीने पर रोक लग गई है तब से उनकी ट्रेनिंग कुछ बदली है, अब प्रशिक्षण में अब जानवरों के स्रोतों पर निर्भरता के बिना जंगल में पानी इकट्ठा करने के तरीकों पर जोर दिया जाता है. इसमें प्राकृतिक जल स्रोतों की पहचान करना और पानी को शुद्ध करने की तकनीकें शामिल हैं.
खाद्य पौधों की पहचान
सैनिकों को विभिन्न खाद्य पौधों और कीटों को पहचानना सिखाया जाता है जो पोषण प्रदान कर सकते हैं, जिससे जीवित जानवरों या पशु उत्पादों को खाने की आवश्यकता कम हो जाती है.
कुछ और खौफनाक मिलिट्री ट्रेनिंग
रूसी स्पैत्सनाज़ प्रशिक्षण
एलीट रूसी स्पैत्सनाज़ सैनिक कठोर प्रशिक्षण से गुज़रते हैं, जिसमें उनके शरीर पर तब गोली चलाई जाती है, जब वो कवच पहने होते हैं. प्रशिक्षुओं को उनके प्रशिक्षकों द्वारा सीने में गोली मारी जाती है ताकि वे गोलीबारी के दौरान आत्मविश्वास पैदा कर सकें, वास्तविक युद्ध स्थितियों के आदी हो सकें. इस एक्सट्रीम ट्रेनिंग का उद्देश्य उन्हें युद्ध के मनोवैज्ञानिक तनावों के लिए तैयार करना है लेकिन ये ट्रेनिंग सैनिकों को डर से भर देती है.
हाथ-पांव बांधकर डूबो दिया जाता है
यूएस नेवी सील एक ऐसा भीषण ट्रेनिंग अभ्यास है, जिससे हर कोई दहल जाता है, जिसे डूबना प्रूफिंग के रूप में जाना जाता है. इसमें पानी में डूबने से पहले उनके हाथ और पैर बांध दिए जाते हैं. फिर उन्हें कई काम करने होते हैं. जैसे तैरना और पूल के तल से वस्तुओं को निकालना. ये ट्रेनिंग पानी में आत्मविश्वास बढ़ाने और जीवित रहने की प्रवृत्ति को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई है.
हफ्ते भर नींद से जगाए रखते हैं
फिलीपीन नेवी सील्स "हेल वीक" के नाम से जाने जाने वाले बेहद कठिन ट्रेनिंग पीरियड से गुजरते हैं. इसमें सैनिकों हफ्ते भर नींद नहीं लेने देते. सप्ताह भर चलने वाला ये कठिन प्रशिक्षण प्रशिक्षुओं को उनकी सीमाओं तक धकेलने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे उनकी शारीरिक सहनशक्ति और मानसिक लचीलापन दोनों का परीक्षण होता है.
No comments