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सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार को आजीवन कारावास, 2 लोगों को जिंदा जलाने का था आरोप

 


1984 Anti-Sikh riots: दिल्ली की एक विशेष अदालत ने 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार इलाके में दो व्यक्तियों की हत्या से संबंधित एक मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

एमपी/एमएलए मामलों की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश सुनाया। अदालत ने 12 फरवरी को सज्जन कुमार को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया था। सजा की अवधि पर दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुनाने के लिए मामले को 25 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया था।

वर्तमान मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में हुए व्यापक सिख विरोधी दंगों के कई उदाहरणों में से एक से संबंधित है। दंगों में, देश के विभिन्न हिस्सों में हजारों सिखों की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई, उनके घरों और दुकानों को जला दिया गया और उनके सामान लूट लिए गए। इसी दौरान दिल्ली के राज नगर निवासी एस. जसवंत सिंह और उनके बेटे एस. तरुणदीप सिंह की हजारों लोगों की एक अनियंत्रित भीड़ ने हत्या कर दी थी।

दो लोगों को जिंदा जलाने का आरोप

अभियोजन पक्ष का कहना है कि आरोपी सज्जन कुमार भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे और उनके उकसावे पर ही भीड़ ने जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह को जिंदा जला दिया, उनके घरेलू सामान और अन्य संपत्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया और लूट लिया, उनके घर को आग के हवाले कर दिया तथा घर में रहने वाले उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को भी गंभीर चोटें पहुंचाई।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि भीड़ ने शिकायतकर्ता यानी जसवंत की पत्नी के घर पर हमला किया, उसके पति और बेटे की हत्या कर दी, सामान लूट लिए तथा घर को आग लगा दी। इस मामले में आरोप पत्र शुरू में राउज एवेन्यू जिला अदालत (आरएडीसी) के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में ई-फॉर्म में दाखिल किया गया था। बाद में पांच मई 2021 को आरोप पत्र भौतिक रूप से प्राप्त हुआ और उसके बाद इसे जांचने तथा पंजीकृत करने का निर्देश दिया गया।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) ने 26 जुलाई 2021 के आदेश के तहत कथित अपराधों का संज्ञान लिया। बाद में, एसीएमएम ने 30 जुलाई 2021 के आदेश के अनुसार, अपराध दंड संहिता की धारा 207 के प्रावधानों के अनुपालन के बाद मामले को सत्र न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया, क्योंकि आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराध तथा अन्य अपराधों से संबंधित मुकदमों में विशेष रूप से सत्र न्यायालय सुनवाई करता है।

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