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सोलन में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाने में भारी कोताही, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भेजा नोटिस, तो…

सोलन के कथेड़ में निर्मित होने वाले मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के लिए लोक निर्माण विभाग व स्वास्थ्य विभाग ने 48 करोड़ की राशि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से परमिशन लिए बिना ही खर्च कर दी तथा स्थापना पूर्व जरूरी अनुमति ही नहीं ली। प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों ने जोनल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को नोटिस भेजकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। 

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नोटिस के बाद संबंधित सभी विभागों के अधिकारियों में हडक़ंप मच गया है तथा स्वास्थ्य व लोक निर्माण विभाग के अधिकारी इस कथित लापरवाही का ठीकरा एक-दूसरे के ऊपर फोड़ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक प्रदूषण बोर्ड यदि स्वास्थ्य विभाग के उत्तर से संतुष्ट नहीं होगा, तो भारी-भरकम राशि का जुर्माना स्वास्थ्य विभाग पर लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि सोलन के कथेड़ बाइपास में जिला के सबसे बड़े अस्पताल का निर्माण हो रहा है। नियमानुसार किसी भी बड़े अस्पताल, उद्योग व होटल के निर्माण से पूर्व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ‘कंसेंट टू एस्टैबलिश्मेंट’ के तहत आवेदन करना होता है।

स्वास्थ्य विभाग ने टीसीपी व अन्य विभागों से परमिशन लेकर कुल 90 करोड़ की लागत से निर्मित होने वाले अस्पताल के लिए नोडल एजेंसी लोक निर्माण विभाग को ठेका दे दिया। लोक निर्माण विभाग ने भी इस मामले में ढील बरती तथा वेस्ट वाटर, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व एफ्यूलेंटट्रीटमेंट प्लांट को स्थापित करने के लिए पहले आवेदन करना होता है।

 किंतु कथित लापरवाही के चलते दोनों विभागों ने स्थापना पूर्व अनुमति के लिए प्रदूषण बोर्ड को आवेदन तक ही नहीं किया तथा बीते कई वर्षों से चल रहे अस्पताल के निर्माण कार्य पर 48 करोड़ की राशि भी खर्च कर दी है। नोटिस मिलने के बाद सभी संबंधित विभागों के अधिकारी अब इस मामले में लीपापोती करने में लगे हैं। 

कुछ समाजसेवी संगठन इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष भी उठाने की रणनीति में लग गए हैं। उधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रिंसीपल साइंटिफिक ऑफिसर अनूप वैद्य ने कहा कि विभागीय कोताही के कारण नोटिस भेजा गया है। उन्होंने कहा कि एनजीटी व पर्यावरण मानकों के दृष्टिगत ‘कंसेंट टू इस्टैबलिशमेंट’ अनुमति लेनी अनिवार्य होती है।

लीपापोती में जुटे संबंधित अधिकारी

लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता रवि भट्टी का कहना है कि इस तरह की अनुमति लेने का कार्य स्वास्थ्य विभाग का है तथा 20 हजार वर्ग मीटर के ऊपर निर्माण कार्य यदि होता है, तो लोक निर्माण विभाग एसटीपी व एटीपी प्लांट स्थापित करने की अनुमति के लिए संबंधित विभाग को लिखेगा।

सोलन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. एमपी सिंह ने कहा कि नोडल एजेंसी का यह कत्र्तव्य होता है कि जागरूक होकर पहले सभी प्रकार की अनुमतियां ले। नोटिस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 56 हजार की फीस प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जमा करवाकर आवेदन कर दिया है। पहले इसकी जानकारी मिलती, तो कार्य आरंभ होने से पूर्व ही वह सारी औपचारिकताएं पूरी कर देते।

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