'मंदिर कहीं और ले जाओ, पैसा दे देंगे...', यहां हटेगा 130 साल पुराना टेंपल, बनाई जाएगी मस्जिद

130 Year Old Temple: मलेशिया में लगभग 130 साल पुराने मंदिर के वजूद पर संकट मंडराता दिखाई दे रहा है. राजधानी कुआलालंपुर में मौजूद इस ऐतिहासिक मंदिर को तोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट करने की योजना काम तेजी से काम जारी है.
दावा किया जा रहा है कि जिस जमीन पर यह मंदिर बना हुआ है उसे एक टेक्सटाइल कंपनी ने खरीद लिया है और यह कंपनी यहां पर एक मस्जिद बनाना चाहती है. जिसका उद्घाटन जल्द ही प्रधानमंत्री करने वाले हैं.
मुसलमानों को तोहफे में देने के लिए खरीदी जमीन
130 साल पुराना यह मंदिर देवी श्री पत्रा कालीअम्मा का है और कई नस्लों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है. मंदिर को पहले सरकारी जमीन पर बनाया गया था, लेकिन 2014 में यह जमीन टेक्सटाइल कंपनी जाकेल को बेच दी गई. इस कंपनी के फाउंडर दिवंगत मोहम्मद जाकेल अहमद ने यह जमीन मस्जिद बनाने और मुस्लिम समुदाय को तोहफे में देने के इरादे से खरीदी थी.
मंदिर शिफ्ट करने का खर्च उठा रही कंपनी
रिपोर्ट्स के में यह भी दावा है कि जाकेल कंपनी मंदिर कमेटि से लगातार बातचीत कर रही थी और मंदिर को दूसरी जगह शिफ्ट करने का खर्च उठाने की पेशकश भी की थी. 2021 में कंपनी को इस जगह पर मस्जिद बनाने की इजाजत मिल गई थी, लेकिन मंदिर शिफ्ट होने तक मस्जिद बनाने के काम को टाल दिया गया. हालांकि अब खबर आ रही है कि 27 मार्च यानी गुरुवार को इस नई मस्जिद का शिलान्यास प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम करेंगे.
लोगों में फैसले के खिलाफ गुस्सा
यह मामला मलेशिया में धार्मिक समानता को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस को फिर से उजागर कर रहा है. साथ ही हिंदू मंदिर को हटाकर मस्जिद बनाने की योजना से जनता में नाराजगी के साथ-साथ गुस्सा भी देखा जा रहा है. 'लॉयर्स फॉर लिबर्टी' संगठन के कार्यकारी निदेशक ज़ैद मलिक ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि मंदिर, जाकेल और नगर पालिका के बीच बातचीत अभी भी जारी है, फिर इतनी जल्दी क्यों की जा रही है? उन्होंने प्रधानमंत्री अनवर पर आरोप लगाया कि वे मंदिर हटाने की जल्दबाजी कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर हो रही बहस
इस विवाद को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस हो रही है. लोग मांग कर रहे हैं कि मस्जिद किसी दूसरी जगह बनाई जाए ताकि धार्मिक टकराव से बचा जा सके. प्रधानमंत्री अनवर ने कहा कि मंदिर को शिफ्ट करने के बाद ही मस्जिद बनाई जाएगी. उन्होंने दावा किया कि मंदिर कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन धार्मिक सौहार्द बनाए रखने के लिए नई जमीन दी जाएगी और मदद भी की जाएगी.
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