कभी संतरे बेचे...रिक्शा चलाया, खड़ा किया अरबों का बिजनेस; हैरान कर देगी इस शख्स की कहानी

Pyare Khan Success Story: जिंदगी में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत जरूरी होती है. लेकिन उसके बावजूद कामयाबी मिलना हर किसी के लिए आसान नहीं होता. ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और ईमानदारी के दम पर फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है.
देशभर में ऐसे तमाम लोग है जिनकी मेहनत और काम के प्रति लगन लोगों को प्रेरित करती है. सफलता की कुछ ऐसी ही कहानी है नागपुर के प्यारे खान की. प्यारे खान ने अपने शुरुआती जीवन में स्टेशन के बाहर ठेले पर संतरे बेचे, ऑटो रिक्शा चलाया और अब उनकी 600 करोड़ रुपये के टर्न ओवर वाली ट्रांसपोर्ट कंपनी है. गरीबी से अमीरी तक का सफर तय करने वाले प्यारे खान की कहानी युवाओं को प्रेरित करने वाली है.
नागपुर रेलवे स्टेशन के बाहर बेचे संतरे
अश्मी रोड ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक और कारोबारी प्यारे लाल खान ने एक इंटरव्यू में बताया मेरी मां रईसा खातून मेरे दो भाइयों, एक बहन और मेरे (कुल चार) लालन-पालन करने के लिए छोटे-मोटे काम करती थीं. हम भाई-बहन नागपुर रेलवे स्टेशन के बाहर संतरे बेचकर घर खर्च चलाने में मदद करते थे. ड्राइविंग लाइसेंस मिलते ही खान ने एक कूरियर कंपनी में ड्राइवर के रूप में नौकरी की. लेकिन 18 साल की उम्र में ओडिशा में एक हादसे के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. 90 के दशक के आखिर में उन्होंने एक ऑटो- रिक्शा खरीदा और घर खर्च चलाने के लिए उसे खरीदा.
ट्रक खरीदने के प्लान से मिली कामयाबी
खान नागपुर के मेलोडी मेकर्स ग्रुप का भी लंबे समय तक हिस्सा रहे, वहां उन्होंने उन दिनों कीबोर्ड म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाया. फिर उन्होंने ग्रुप को कार्यक्रम स्थल पर ले जाने के लिए बस खरीदने का प्लान किया. बस खरीदने के लिए उन्होंने कुछ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट और बाकी का कीमती सामान बेच दिया. लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने 2004 में एक ट्रक खरीदने का फैसला किया. लेकिन पैसों के अभाव और 24 साल की उम्र में उन्हें बैंक लोन मिलना आसान नहीं था.
11 लाख का लोन अप्रूव करा लिया
उन्होंने अपनी कोशिश और भरोसे के दम पर नागपुर के आईएनजी वैश्य बैंक के मैनेजर से ट्रक खरीदने के लिए 11 लाख का लोन अप्रूव करा लिया. इस लोन को उन्होंने तय टाइम से कम से दो साल पहले ही बैंक को चुका दिया. यहां से उनकी किस्मत ने ऐसी रफ्तार पकड़ी की फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2005 से 2007 तक उन्होंने अपने ट्रकों के बेड़े को बढ़ाकर 12 ट्रक पर पहुंचा दिया. उन्होंने ऐसी जगह पर काम किया जहां दूसरे लोग काम करने से पहले डरते थे. रिस्क उठाया और बड़े ग्रुपों से काम लिया. 2019 में 41 साल की उम्र में उनका बिजनेस बढ़कर 125 ट्रक पर पहुंच गया, ये ट्रक उनके अपने हैं.
600 करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर
मौजूदा समय में उनकी कंपनी से 3000 से ज्यादा ट्रक जुड़े हुए हैं और उनका बिजनेस 600 करोड़ से ज्यादा का है. उनके कंपनी में कुल 700 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. उनकी कंपनी अश्विनी रोड ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के तहत भारत और कि विदेशों में स्टील और बिजली के इंफ्रास्ट्रक्चर को ले जाने के लिए हर दिन किराये पर 3,000 से ज्यादा ट्रक हैं. देशभर में कंपनी के 10 ऑफिस हैं. खान की कंपनी आज केईसी इंटरनेशनल, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा और सेल सहित कंपनियों के लिए डिलीवरी करती है.
खान ने 2018 में आईआईएम-अहमदाबाद और महिंद्रा ट्रक एंड बस की तरफ से आयोजित प्रतियोगिता भी जीती. इस दौरान अमेरिका के दो सहित कुल 18 प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया. बाकी प्रतिभागियों ने लैपटॉप और पावर प्वाइंट प्रिजेंटेशन के जरिये अपनी प्रस्तुति दी. लेकिन खान ने खड़े होकर हिंदी में अपनी बात कही.
No comments