Recent Posts

Breaking News

आप भी तो नहीं हैं हार्ट के मरीज? हार्ट अटैक से बचने के लिए डॉक्टर ने बताया '5S' फॉर्मूला

आप भी तो नहीं हैं हार्ट के मरीज? हार्ट अटैक से बचने के लिए डॉक्टर ने बताया '5S' फॉर्मूला

हृदय स्वास्थ्य की समस्याएं वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों के लिए चिंता बढ़ाती जा रही हैं। हाल के वर्षों में हृदय रोगों के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं। अब ये बीमारी सिर्फ उम्रदराज लोगों तक ही सीमित नहीं रह गई है।

बीते दिनों ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें 20 से कम उम्र वालों की हार्ट अटैक से मौत हुई है। कम उम्र के लोग, यहां तक कि बच्चे भी इसका शिकार पाए जा रहे हैं।

में हमने बताया था कि अप्रैल में ही मध्य प्रदेश के इंदौर में 18 साल के दो किशोरों की मौत हार्ट अटैक से मौत हो गई। इससे पहले में गुजरात में छठवीं कक्षा के बच्चे की सडेन हार्ट अटैक से मौत की खबर आई थी।

अब सवाल ये है कि बच्चे-युवा, वयस्क हर उम्र के लोगों में बढ़ते इस जानलेवा समस्या के क्या कारण हैं? क्या कोई ऐसा तरीका है जिसकी मदद से आप हृदय रोगों के खतरे को कम कर सकते हैं?



हृदय रोग और हार्ट अटैक का बढ़ता खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और खान-पान में गड़बड़ी के चलते हृदय स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। बढ़ते हार्ट अटैक के मामलों के लिए इसे एक जोखिम कारक माना जा सकता है। चूंकि हृदय रोग और हार्ट अटैक मौजूदा समय के सबसे चर्चित विषयों में से एक बने हुए हैं, इस वजह से हार्ट हेल्थ को लेकर हमें सतर्क हो जाना चाहिए।

जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को हृदय की बीमारी रही हो या फिर आप शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहते हैं- दिन का ज्यादातर समय बैठे-बैठे बीत जाता है, खान-पान ठीक नहीं है तो ऐसे लोगों को विशेष सावधान हो जाना चाहिए।

अमर उजाला से बातचीत में अपोलो अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ निरंजन हीरेमथ बताते हैं, समय के साथ हृदय रोगों की समस्या लगभग हर उम्र के लोगों में रिपोर्ट की जा रही है, बच्चे भी इसे बचे नहीं हैं। हालांकि वयस्कों की तुलना में बच्चों में इसके जोखिम कारक कम होते हैं। बच्चों में हृदय रोगों के अधिकतर मामले जन्मजात होते हैं।

सभी लोगों को बच्चों में कुछ लक्षणों जैसे छाती में अक्सर हल्का दर्द रहना, बेहोशी, सांस लेने में तकलीफ पर गंभीरता से ध्यान देते रहना चाहिए। अगर इस तरह की दिक्कत है तो एक बार किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।



कैसे जानें कहीं आपको भी तो नहीं है हृदय-रोग हार्ट अटैक का खतरा?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, नियमित रूप से सेहत की जांच- जैसे खून की जांच, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर-शुगर टेस्ट कराते रहें। कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर का स्तर अगर बढ़ा हुआ रहता है तो समय रहते इसका इलाज करा लें, इससे हृदय की गंभीर समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

इसके अलावा लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) के विशेषज्ञों ने एक ऐसे ब्लड टेस्ट की जानकारी दी है जिसके माध्यम से भी पता लगाया जा सकता है कि भविष्य में आपको हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा तो नहीं है?

विशेषज्ञों ने बताया कि खून में ट्रोपोनिन नाम का एक प्रोटीन पाया जाता है जिसकी मदद से ये जाना जा सकता है कि आपको हार्ट अटैक और स्ट्रोक तो नहीं होगा। सबसे खास बात ये टेस्ट काफी किफायती भी है। इस टेस्ट की कीमत £5 (565 भारतीय रुपये) है।



हार्ट अटैक से बचाव के लिए इन 5S पर दें ध्यान

दिल्ली स्थित पीएसआरआई हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रवि प्रकाश कहते हैं, सभी लोग अगर 5S फॉर्मूले पर ध्यान दे लें तो इससे हृदय को स्वस्थ रखने और हार्ट अटैक के खतरे को कम करने में विशेष मदद मिल सकती है।

1. स्मोकिंग- स्मोकिंग या धूम्रपान से दूरी बनाना हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए सबसे जरूरी है। युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक के लिए इसे प्रमुख कारण माना जा रहा है।
2. स्लॉट और शुगर- नमक और चीनी दोनों का अधिक सेवन हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है। इसका सेवन कम करें।
3. सिटिंग- ज्यादा देर बैठे रहने की आदत भी आपके हार्ट के लिए ठीक नहीं है। इसलिए नियमित रूप से व्यायाम जरूर करें। ऑफिस में काम करते हैं तो हर आधे घंटे पर थोड़ी देर के लिए वॉक जरूर करें।
4. स्लीप और स्ट्रेस- हृदय को स्वस्थ रखने के लिए अच्छी नींद लेना और स्ट्रेस कम रखना दोनों जरूरी है। अगर आप रात में 6-8 घंटे अच्छी नींद लेते हैं तो इससे स्ट्रेस भी कम होता है।
5. सीनियर्स- यदि आपको घर के सीनियर्स में किसी को हार्ट की बीमारी है तो फिर आपको भी होने का जोखिम अधिक हो सकता है। समय रहते डॉक्टरी सलाह और उपचार लेने से आप अपने जोखिमों को कम कर सकते हैं।

-------------
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

No comments