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प्री-प्राइमरी भर्ती से पहले डिप्लोमा पर संदेह

 


हिमाचल में स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कारपोरेशन के माध्यम से हो रही प्री-प्राइमरी टीचर्स यानी अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन ट्यूटर की भर्ती के डिप्लोमा पहले ही संदेह के घेरे में आ गए हैं। सिरमौर जिला के पांवटा में हुई डाक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया के दौरान पता चला है कि एनसीटीई से मान्यता प्राप्त जितने डिप्लोमा धारक सिरमौर में नहीं थे, उससे ज्यादा आवेदन पांवटा साहिब में हुए इंटरव्यू में आ गए हैं।

 एचपीएसईडीसी ने 14 निजी एजेंसियों को आउटसोर्स पर यह भर्ती करने के लिए अनुमति दी है, लेकिन इन एजेंसियों ने जिस जिला की भर्ती थी, उसे दूसरे जिला या अपने कार्यालय वाले जिला में करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इससे अभ्यर्थियों को दिक्कत हुई है और जिला प्रशासन का फीडबैक भी इसके विपरीत है। इसलिए अब सभी एजेंसियों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि जिस जिला के पद होंगे, उस जिला में जाकर ही इंटरव्यू लेने पड़ेंगे।

सबसे बड़ी चिंता डिप्लोमा की वेरिफिकेशन को लेकर है। अब स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कारपोरेशन यह कह रहा है कि दो स्तर पर डिप्लोमा की वेरिफिकेशन की जाएगी। एक स्तर पर एजेंसी यहां खुद यह काम करेगी और दूसरे स्तर पर शिक्षा विभाग को भी वेरिफिकेशन के लिए कहा जाएगा। 

एनसीटीई के नियमों के अनुसार मान्यता प्राप्त संस्थाओं से ही दो साल का एनटीटी डिप्लोमा इस पद के लिए मान्य किया गया है, हालांकि जहां भी इंटरव्यू हो रहे हैं, वहां एक साल डिप्लोमा वाले अभ्यर्थी भी आ रहे हैं। स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डिवेलपमेंट कारपोरेशन ने कुल 6200 पदों में से सिर्फ 3100 पद ही नोटिफाई किए हैं और कुछ और एजेंसियों के इंपैनलमेंट होने के बाद शेष पद नोटिफाई किए जाएंगे।

दूर की जा रही कमियां

एचपीएससी डीसी के एमडी वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि यह बड़े स्तर की भर्ती प्रक्रिया है। जो कमियां सामने आ रही हैं, उन्हें तुरंत दूर किया जा रहा है। सबसे बड़ी चिंता डिप्लोमा के वेरिफिकेशन की है। अब दो स्तर पर वेरिफिकेशन करवाई जाएगी। उन्होंने अभ्यर्थियों से आग्रह किया है कि एक साल के डिप्लोमा वाले इन इंटरव्यू में शामिल न हों, क्योंकि उनके पास तय नियमों के अनुसार यह पात्रता अभी नहीं है।

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