HP News: 592 शिक्षकों को डिमोशन का नोटिस, हाई कोर्ट के फैसले पर स्कूल शिक्षा निदेशालय ने भेजे सम्मन

हाई कोर्ट में चल रहे एक मामले के आधार पर स्कूल शिक्षा निदेशालय ने राज्य के 592 शिक्षकों को प्रोमोशन वापस लेने यानी डिमोशन का नोटिस दिया है। इस नोटिस का जवाब सात दिन के भीतर देना होगा अन्यथा ऐसा माना जाएगा कि इस फैसले को इन्होंने स्वीकार कर लिया है।
यह सभी शिक्षक ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर थे, जो प्रोमोशन के बाद स्कूल लेक्चरर न्यू कैडर में आ गए थे। 2019 से 2025 के मध्य टीजीटी से प्रोमोट हुए 592 प्रवक्ताओं को डिमोट करने का निर्णय शिक्षा विभाग ने लिया है। हालांकि शिक्षकों का कहना है कि इस फैसले को रिव्यू किया जाए। तर्क ये दिया जा रहा है कि उपरोक्त प्रोमोशन होने के बाद इस समय भी टीजीटी के 1012 प्रोमोशन कोटा में उपलब्ध हैं।
शिक्षा विभाग को रिवाइज वरिष्ठता प्रात शिक्षकों को इन रिक्त पदों पर एकमुश्त प्रोमोशन देते हुए डिमोशन से बचना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी लंबे समय बाद सेटल वरिष्ठता को छेडऩे से मना करता आया है। प्रोमोशन और डिमोशन करने हेतु डीपीसी उत्तरदायी होती है, न कि शिक्षक। डिमोशन करना वरिष्ठता विवाद का समाधान नहीं, बल्कि रिक्त पदों पर प्रोमोशन इसका हल है।
इनका कहना है कि जब विभाग में टीजीटी से प्रवक्ता पदोन्नति कोटे के 1012 पद रिक्त हैं, तब डिमोशन की बजाय इन्हें पात्र वरिष्ठ टीजीटी की प्रोमोशन से एकमुश्त भरा जाना चाहिए। हाई कोर्ट में चल रहे इस मामले में सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल कार्यालय ने भी कोर्ट को बताया था कि इस बारे में यदि कोई गलती हुई है तो शिक्षा विभाग उसे दुरुस्त करेगा। हाई कोर्ट ने इस मामले में कंप्लायंस की रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले मांगी है। यह मामला 28 अक्तूबर, 2025 को दोबारा सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में लगा है।
 
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