लखनऊ के 90 हजार रुपये महीना कमाने वाले भिखारियों की कहानी, ये आंकड़ा आपको चौंका देगा

Lucknow News: लखनऊ में हुए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि यहां भिखारियों की औसत मासिक आमदनी लगभग 90 हजार रुपये है. इस हिसाब से उनकी सालाना आय करीब 11 लाख रुपये होती है, जो कई सामान्य कामकाजी लोगों की कमाई से अधिक है. सर्वे में यह भी सामने आया कि लखनऊ में भिखारियों की कुल संख्या 5,312 है. लखनऊ नगर निगम, समाज कल्याण विभाग और डूडा द्वारा किए गए इस सर्वे के अनुसार, यहां के लोग प्रतिदिन लगभग 63 लाख रुपये दान के रूप में भिखारियों को देते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, एक भिखारी औसतन रोजाना 3 हजार रुपये कमा रहा है, जिनमें महिलाओं की कमाई पुरुषों से अधिक है.
भिक्षावृत्ति पर इस अध्ययन ने लखनऊ शहर के आर्थिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को एक नया दृष्टिकोण दिया है. नगर निगम के अधिकारियों का मानना है कि इतनी ऊंची आमदनी होने के बावजूद यह स्थिति सामाजिक और आर्थिक असमानता को उजागर करती है. प्रशासन अब इस समस्या का समाधान करने और भिक्षावृत्ति की आदत को कम करने के लिए कुछ नीतिगत कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं ताकि उनकी जीविका का स्थायी प्रबंध किया जा सके.
इसी बीच, भिक्षावृत्ति विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई, जिसमें दावा किया गया कि ये कानून संविधान की धारा 14 और 21 के तहत गरीबों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए यह कहा कि सरकार ने यह कानून लागू करने से पहले विचार-विमर्श किया है और याचिकाकर्ता को संबंधित हाईकोर्ट में जाने का सुझाव दिया. इस निर्णय से सरकार के भिक्षावृत्ति नियंत्रण के प्रयासों को बल मिला है. कोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली है.
लखनऊ में भिक्षावृत्ति की ऊंची आय ने भले ही लोगों को हैरान किया हो, लेकिन प्रशासन इसे चुनौती के रूप में लेकर सुधारात्मक कदम उठाने की ओर अग्रसर है. यह कदम न केवल भिक्षावृत्ति को कम करेंगे, बल्कि समाज में समावेशी विकास की दिशा में भी सहायक होंगे.
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